वनमण्डल अफसरों का चारागाह बना जंगली कोयला – NNSP
मनेन्द्रगढ़
अवैध जंगली कोयले की तस्करी का गढ़ बना मनेंद्रगढ़ वन मंडल करतूत बाज अफसरों के भ्रष्टाचार का चारागाह बना एमसीबी जिले का जंगल प्रदेश का गौरव मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ वन मंडल के जंगलों से होते कोयले की अवैध तस्करी गले की बड़ी फांस होकर भी वन विभाग के अफसरों को चुभने की बजाय गले तक मलाई का स्वाद दे रही है और वन विभाग में बैठे अफसर सूरदास बनकर अनमोल वन संपदा को पुरखों की विराशत समझकर लूटा रहे हैं।
वाक्या वही पुराना है जो हर रोज वन मंडल मनेंद्रगढ़ के माथे पर नए नए कारनामों की अध्याय लिखता जा रहा है और जिसे मनेंद्रगढ़ वन मंडल के करतूत बाज अफसर अपना बढ़ता हुआ सी आर समझ रहे हैं। जानकर हैरानी होगी की मनेंद्रगढ़ वन मंडल कार्यालय के चारो ओर और वनमण्डलाधिकारी मनेन्द्रगढ़, वनमण्डल मनेन्दगढ़, जिला डीएफओं के नाक के नीचे जंगलों से बड़े पैमाने पर बेखौफ जंगली कोयले का व्यवसाय संचालित है और जिसकी पल पल की जानकारी वन विभाग के नुमाइंदों को बखूबी मिलती है पर वन विभाग में नीचे से ऊपर तक बैठे अफसर जंगल को खोखला होने से बचाने की बजाय शायद इस व्यापार का हिस्सा बन बैठे हैं और कोयले की काली कमाई को अपने ऐशबाजी का आधार बना रखे हैं।
अवगत करा दें की मनेंद्रगढ़ रेंज के शहरी क्षेत्रों से लगे वनों से बड़े पैमाने पर भूमिगत मुहाड़े बनाकर चार पहिया और ट्रैक्टर से कोयले की तस्करी जारी है सूत्रों के अनुसार मनेंद्रगढ़ में संचालित इंडस्ट्रियल फर्म, ईंट भट्टे और कई उद्योगों में मनेंद्रगढ़ रेंज का कोयला उपयोग किया जा रहा है। वन परिक्षेत्र का झगरा खाण्ड, खोंगापानी, लेदरी, हल्दीबाड़ी, मिलन पथरा, बौरीडांड, जो की मध्य प्रदेश के सीमा क्षेत्रों से बिना रोक टोक जुड़ा हुआ है और इन जंगलों से निकाला गया अवैध कोयला इन्ही रास्तों से मध्य प्रदेश के सीमा वाले क्षेत्रों में खपाया जाता है। परंतु मनेंद्रगढ़ रेंज और वन मंडल के अधिकारी जंगलों के प्राकृक्तिक धरोहर, संपदा के दोहन को रोकने की बजाय वन क्षेत्रों के निर्माण कार्यों में बड़ी बड़ी राशियों के गोलमाल और कमीशन के खेल में मस्त रहते हैं।