छत्तीसगढ

कुदरगढ़ मंदिर में रोपवे लगाने की थी प्लानिंग, अधिकारियों के साथ निरीक्षण करने पहुंचे पूर्व मंत्री पैकरा, लेकिन हो गया हादसा

डोंगरगढ़

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर में शुक्रवार को हुए रोपवे हादसे ने एक बार फिर श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह महज एक तकनीकी दुर्घटना नहीं, बल्कि लापरवाही, अवैध निर्माण और VIP संस्कृति की एक खतरनाक मिसाल बन गई है।

पैकरा निरीक्षण पर आए, खुद हो गए हादसे का शिकार
बता दें कि छत्तीसगढ़ के वन विकास निगम के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री रामसेवक पैकरा बीते शुक्रवार की दोपहर डोंगरगढ़ में रोपवे संचालन की प्रणाली समझने के उद्देश्य से पहुंचे थे। उनके नेतृत्व में कुदरगढ़ मंदिर में भी रोपवे लगवाने की योजना बनाई जा रही है। मंदिर ट्रस्ट के साथ मीटिंग निर्धारित थी, जिसमें कुदरगढ़ से जुड़े कुछ पदाधिकारी भी शामिल हुए थे। लेकिन जिस तकनीक को देखने आए थे, उसी तकनीक ने उन्हें हादसे का शिकार बना दिया।

जैसे ही ट्रॉली दोपहर में मंदिर से नीचे स्टेशन पर पहुंची, वह अपनी तय सीमा से आगे बढ़ गई और वहां बने अवैध चबूतरे से टकराकर पलट गई। चबूतरा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के निर्देश पर बनाया गया था, जिसकी तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई थी और जो रोपवे की मूल डिज़ाइन का हिस्सा ही नहीं था। इस रोपवे का नियमित संचालन दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक बंद रहता है। लेकिन पैकरा की VIP यात्रा को देखते हुए रोपवे को विशेष रूप से चालू किया गया, वो भी उस वक्त जब अधिकांश स्टाफ भोजन अवकाश में था।

हादसे के वक्त ट्रॉली में रामसेवक पैकरा, भाजपा नेता भरत वर्मा, ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, दया सिंह, सिद्धार्थ सिंह और बलराम सिंह सवार थे। इस दौरान भरत वर्मा को गंभीर चोटें आई हैं, रीढ़ की हड्डी और हाथ में फ्रैक्चर की आशंका है। अन्य को हल्की चोटें लगीं।

यह पहली बार नहीं है जब डोंगरगढ़ का रोपवे सवालों के घेरे में आया हो—
    फरवरी 2021: रोपवे की ट्रॉली गिरने से मज़दूर गोपी गोड़ की मौत हो गई थी। ट्रॉली रोप केबल से अलग होकर सीधे ज़मीन पर आ गिरी थी।
    अप्रैल 2024: कलेक्टर संजय अग्रवाल और एसपी मोहित गर्ग नवरात्रि से पहले निरीक्षण के दौरान ट्रॉली में ही फंस गए थे। बिजली सप्लाई रुकने से सिस्टम बंद हो गया और जनरेटर से उन्हें नीचे लाया गया।

जवाबदेही से बचते दिखे ज़िम्मेदार
हादसे के बाद एसपी मोहित गर्ग मौके पर पहुंचे और रोपवे संचालन करने वाली कंपनी दामोदर इंफ्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। लेकिन स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब अवैध चबूतरा, VIP दबाव में संचालन और स्टाफ की गैरमौजूदगी से हादसा हुआ, तो ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल पर भी कार्रवाई क्यों नहीं? मनोज अग्रवाल मीडिया के सामने ये कहकर बचते नज़र आए कि संचालन ट्रस्ट करता है लेकिन मेंटेनेंस की ज़िम्मेदारी दामोदर इंफ्रा की है। दूसरी ओर, दामोदर इंफ्रा के साइट इंचार्ज ने सारा ठीकरा बिजली विभाग पर फोड़ते हुए ‘लो वोल्टेज-हाई वोल्टेज’ का बहाना बना डाला। लेकिन कंपनी ने आज तक कभी बिजली विभाग को इस समस्या की कोई लिखित सूचना तक नहीं दी।

यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस लापरवाह और वीआईपी संस्कृति की पोल खोलता है, जिसमें आम जनता की सुरक्षा को ताक पर रखकर नियम तोड़े जाते हैं। रोपवे जैसी तकनीकी सेवा, जहां जान की बाज़ी लगी हो, वहां बिना स्टाफ, बिना सुरक्षा जांच और बिना ज़रूरी अनुमति के संचालन किया गया।

कुदरगढ़ में रोपवे लगाने का सपना लेकर आए थे पैकरा, लेकिन डोंगरगढ़ का ही रोपवे उन्हें ज़मीन पर ला पटका। अब सवाल यह है, क्या इस हादसे के बाद सिर्फ कंपनी पर कार्रवाई होगी ? या उन असली ज़िम्मेदारों पर भी शिकंजा कसेगा जिन्होंने नियमों को VIP आदेशों के नीचे कुचल डाला?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button