राजयोग से परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है : रजनी दीदी – NNSP
रायपुर
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के जापान एवं फिलिपीन्स स्थित सेवाकेन्द्रों की इन्चार्ज ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी ने बतलाया कि राजयोग श्रेष्ठ योग पद्घति है। इससे विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलती है। विदेशियों को यह काफी आकर्षित करता है। ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में अपना अनुभव सुना रही थीं। वह इन दिनों जापान से खास छत्तीसगढ़ में ब्रह्माकुमारी संस्थान की सेवाओं को देखने के लिए यहाँ आयी हुई हैं। आगे वह भिलाई, दुर्ग और राजनांदगांव भी जाएंगी।
उन्होंने बताया कि जापान में बहुतांश लोग बौद्घ धर्म को मानने वाले हैं। वह लोग ईश्वर को नहीं मानते हैं। ऐसे देश में उनको हिन्दू फिलासफी को समझाना कठिन होता है। भारत में तो सभी लोग रामायण महाभारत और गीता आदि शास्त्र पढ़े हुए होते हैं अत: उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान सुनाना और उनकी सेवा करना आसान होता है लेकिन विदेश में जहाँ की संस्कृति रहन-सहन और खान-पान सब कुछ भिन्न होता है। वहाँपर हमको सप्ताह कोर्स कराने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इसमें काफी समय लग जाता है। इतना ही नहीं वहाँ ज्ञान पर सुनाने के साथ-साथ लोगों को शुद्घ शाकाहारी और सात्विक भोजन बनाना भी सिखाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि जापान में भूकम्प आने पर सुरक्षा की दृष्टि से बिजली पानी आदि सब सुविधाएं बन्द हो जाती हैं। ऐसे ही एक अवसर पर आश्रय स्थल में उन्हें सत्तर लोग मिले। जहाँ पर ब्रह्माकुमारी बहनों को बिना विचलित हुए निश्चिन्त बैठे देखकर लोगों ने पूछा कि आप इतना निश्चिन्त कैसे हैं? जब उन्हें पता चला कि हम राजयोगी हैं तो उन्होंने भी राजयोग सीखने की इच्छा प्रकट की। इस प्रकार राजयोग हमें हर परिस्थिति में शान्त रहना सीखाता है। उन्होंने कहा कि भारत के सारे त्यौहार वह लोग विदेशों में भी मनाते हैं लेकिन वहाँ इतना धूमधाम नहीं होता है। मकानों में इतनी सजावट भी नहीं होती है। भारत में तो सभी त्यौहार बहुत ही उमंग-उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्थान में आने से आध्यात्मिकता को अपनाने से हमारे जीवन में बदलाव आया है। हम सब बहुत भाग्यशाली आत्माएं हैं जो कि हमें बाबा का ज्ञान मिला। परिवर्तन का आधार पवित्रता है। यही हमारे आध्यात्मिक जीवन की बुनियाद भी है। हमारे मन में किसी के भी प्रति दुर्भावना अथवा वैमनस्यता न हो। मन से सब मैल निकाल दो। दिवाली मनाना माना अन्दर की सफाई करना। चूँकि अब नया युग शुरू होना है इसलिए कुछ भी पुराना हमारे मन में बचा हुआ न रहे। तब आत्मा एकदम शुद्घ, पवित्र और सुख शान्ति से भरपूर होकर वापिस अपने घर परमधाम जाएगी। उन्होंने कहा कि पवित्रता में इतनी शक्ति है कि इससे हमारे दु:ख और अशान्ति समाप्त हो जाते हैं। पवित्रता हमारे जीवन में सुख और शान्ति की जननी है। इस अवसर पर रायपुर के बाल कलाकारों ने ब्रह्माकुमारी रजनी दीदी के स्वागत में जापान और भारत की संस्कृति को मिलाकर बहुत ही सुन्दर मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।