छत्तीसगढ

जनजातीय गौरव पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल हुए मप्र के राज्यपाल मंगूभाई पटेल

बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय में जनजाति गौरव विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मंगुभाई पटेल  राज्यपाल, मध्यप्रदेश थे।अति विशिष्ट अतिथि के रूप में रामलाल रौतेल  अध्यक्ष कोल विकास प्राधिकरण मध्यप्रदेश एवं विशेष अतिथि के रूप में विधायक अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह, सुशांत शुक्ला और जनजाति गौरव के  प्रांत संयोजक बृजेंद्र शुक्ला ,कुलसचिव शैलेंद्र दुबे  उपस्थित थे।कार्यक्रम की अध्यक्षता  कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेई ने की। जनजाति गौरव संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्लवन के साथ एवं राष्ट्रगान एवं कुल गीत के साथ शुरुआत हुई। राष्ट्रीय जनजाति गौरव पत्रिका एवं स्मारिका का विमोचन राज्यपाल ने किया।  कुलपति ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अपने संबोधन में कहा कि जनजाति समुदायों का योगदान भारतवर्ष के विकास में,संस्कृति के गौरव में सर्वाधिक है। लेकिन  उसका लेखांकन सही ढंग से नहीं हो पाया है। चाहे भगवान बिरसा मुंडा हो,तिलका मांझी हो या वीर नारायण सिंहएवं रानी दुर्गावती हो। उन्होंने कहा कि पर्यावरण हो, चाहे हमारी संस्कृति हो, चाहे हमारे वैदिक सभ्यता हो उसे सुरक्षित करने का काम जनजाति संगठन ने बखूबी किया है। कार्यक्रम की प्रस्तावना बृजेंद्र शुक्ला ने रखी। मुख्य अतिथि की आसंदी से मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि जनजातीय गौरव जो मनाया जा रहा है,  उसे आज सारा देश देख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे हिंदुस्तान में जनजातीय गौरव को बढ़ाया। इसलिए ऐसे कार्यक्रम का आयोजन सभी जगह हो रहे है। राज्यपाल ने कहा कि 1975 में जो रात इमरजेंसी दाखिल हुई,उसी दिन मैं अहमदाबाद में था, एक संघ के कार्यक्रम मे शामिल होने गया था, अहमदाबाद के खानपुर में जयप्रकाश नारायण जी, अटल बिहारी वाजपेई जी, डॉ भाई महावीर का भाषण चल रहा था,हमारे राष्ट्रीय नेता एवं राष्ट्रीय पुरुष कैसे थे जयप्रकाश नारायण के भी मन में उनके लिए क्या भाव था। आज तो हम जानते हैं कितने साल हो गए मगर जिन्होंने नजदीक से देखा कि राष्ट्र पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी को उन्हें आज भी याद करते है। मोदी के मंत्रिमंडल में मैंने 14 साल काम किया। समाज के लिए,देश के लिए समर्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भी हर समस्या का समाधान किया।  उन्होंने कहा कि जो भी क्रांतिकारी जनजातीय नेता थे जिन्होंने देश और समाज के लिए पूरा जीवन बलिदान कर दिया, उनके जीवन को जानने का हमको यह मौका मिला है और जब भी मैं यह सुनता हूं विधायक के मुंह से, प्रार्थना करता हूं जहां भी ट्राइबल एरिया आपके क्षेत्र में है, उनको भी गति देने का काम करिये। आदिवासी भाई बहनों को राजस्थान,मध्य प्रदेश और गुजरात की बॉर्डर पर निवास करते है ऐसे  जगहों पर ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या नहीं है । वे जल, जंगल और जमीन के संरक्षक है। हमारे प्राइम मिनिस्टर श्री मोदी के मन मे जनजाति संवेदना भरी हुई है। उन्होंने कहा कि जहां-जगह ट्राइबल एरिया है वहां कोई भी योजना है उसको कैसे लाभ मिले, उसको कैसे पढ़ाया जाए, सरकार की योजना है उसको चुने हुए लोग ही तो करेंगे।

आदिवासियों में सिकल सेल एक बड़ी समस्या 
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों में सिकल सेल एक बड़ी समस्या है। हमको जांच करना चाहिए और जो राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने जो काम शुरू किया है शउन्होंने 15000 करोड रुपए का बजट में प्रावधान किया है। मां-बाप को होगा तो बच्चे को समस्या आएगी उन्होंने इस बीमारी से होने सभी लक्षणों को चर्चा की।  यहां छत्तीसगढ़ में भी मैंने देखा कि सरकार इस भीषण मे लगातार काम कर रही है, प्रधानमंत्री ने भी अभियान चलाया है कि एक भी बच्चा इस प्रकार की समस्या वाला पैदा नहीं हो मगर हम इसे समझना पड़ेगा, सब लोग प्रयत्न करेंगे तो हम 2047 में दूर कर सकेंगे। दूसरी बात है, बच्चे का ट्रीटमेंट और सिकल सेल की जाँच होनी चाहिए। जांच करो ट्रीटमेंट करो दवाई दो,अगर प्रस्तुति के बाद 72 घंटे में कोई सिकल सेल वाला तो नहीं है।बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला  ने इस अवसर पर कहा जनजाति गौरव दिवस अपने इतिहास को जानने का अवसर है।प्रधानमंत्री ने जनजाति गौरव को स्थान दिलाने के लिए एवं उनकी गौरव गाथा सभी तक पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित करने का निर्णय लिया हैं। साथ में उन्होंने कहा, जिस देश को जीने का एहसास नहीं उसका कोई इतिहास नहीं। शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजाति गौरव को बढ़ाने वाले विषयों को रखने की बात कही जिससे सभी विद्यार्थियों को जनजाति गौरव और जिन्होंने देश की गौरव गाथा को बढ़ाया है। ऐसे बलिदानियों को हम सभी को जानना चाहिए।विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि जनजाति गौरव विषय पर यह कार्यक्रम होना हम सभी के लिए गौरान्वित करने वाला है। देश के लिए अपना सर्वोच्च निछावर करने वाले बलिदानियों को शिक्षा के माध्यम से या अन्य माध्यम से जनजाति गौरव को आगे लाने का कार्य अभी तक से नहीं हुआ था जो कि अब सभी विश्वविद्यालय में महाविद्यालय हो या शिक्षा के माध्यम से प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लगातार हो रहा है।  उन्होंने बिलासपुर में स्थापित राजा रघुराज स्टेडियम के बारे में भी बताया कि पंडरिया के रहने वाले राजा रघुराज सिंह जनजाति समाज से जिन्होंने जमीन दान में दी, जिसमें अनेकों खिलाड़ी खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर पर भारत का कर रहे। अमर अग्रवाल ने कहा किजनजाति गौरव के इतिहास को हम सभी को पढऩा चाहिए और बताना चाहिए। पहले जनजाति गौरव के इतिहास  को छुपाया गया,जनजाति गौरव के सामाजिक, आध्यात्मिक  व्यवस्था रहन-सहन श्रेष्ठता को दर्शाते हैं। उन्होंने सभी समाज को आगे बढऩे का कार्य किया। जनजाति के गौरवशाली इतिहास जिसमें समृद्ध संस्कृति है, जिनके कारण आज जल, जंगल जमीन आज भी सुरक्षित हैं। वर्षों से यह उनकी सुरक्षा करते आ रहे है।मंच का संचालन डॉ. श्रेया साहू ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव शैलेंद्र दुबे ने किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से शाहिद नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति पटेरिया, डॉ.सी वी रमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर पी दुबे जी,डॉ एच एस होता एवं एवं विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. तरुण धर दीवान सभी प्राध्यापक एवं अधिकारी गण कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इन विभूतियों को मिला गौरव सम्मानअटल विश्वविद्यालय ने राज्यपाल  मंगूभाई पटेल सहित 7  आदिवासी समाज की विभूतियों को जनजातीय गौरव सम्मान से विभूषित किया। कुलपति एडीएन वाजपेई ने उन्हें यह सम्मान दिया।  इसके अलावा कैबिनेट मंत्री रामविचार नेताम,  मध्यप्रदेश कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रौतेल, श्रीमती मधुलिका सिंह, उत्कृष्ट पुलिसिंग, डॉक्टर चंद्रशेखर ऊइके चिकित्सा सेवा, डॉ ज्योति रानी सिंह शिक्षा और इतवारी सिंह राज को क्रीड़ा के क्षेत्र में सम्मानित किया गया।

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