छत्तीसगढ

मरीजों का तत्काल इलाज हो, रोकथाम व व्यवस्था में सुधार के लिए बताएं कार्ययोजना- हाईकोर्ट

बिलासपुर । मुख्य सचिव की ओर से बुधवार को हाईकोर्ट में प्रस्तुत जवाब में कहा गया है कि मलेरिया और डायरिया कंट्रोल के लिए शासन और प्रशासन जुटकर कार्य कर रहा है। सभी प्रभावित क्षेत्रों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कैंप लगाए जा रहे और जांच के बाद दवा दी जा रही है। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि मरीजों को उपचार से वंचित नहीं होना पड़ेगा। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने निर्देश दिए कि कोई भी मरीज बिस्तर या दवा के अभाव में अस्पताल से न लौटे। साथ ही उपचार के पर्याप्त इंतजाम और रोग फैलने से रोकने के लिए कार्ययोजना प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई 13 अगस्त को रखी है
जिले के टेंगनमाड़ा में दो बच्चों की मलेरिया से मौत, कांवड़ में मरीज को अस्पताल ले जाने और प्रदेश में कई स्थानों पर मलेरिया से मौत की खबर पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने 18 जुलाई को राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा था। कोटा विकासखंड के टेंगनमाड़ा में 12 और 15 साल के दो भाइयों इमरान और इरफान की बुधवार को कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। झोलाछाप डॉक्टर ने दोनों बच्चों को स्लाइन चढ़ाया और इंजेक्शन लगाया था। इसके बाद तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उन्हें कोटा के सरकारी अस्पताल लाया गया। लेकिन कुछ घंटों के भीतर दोनों भाइयों की मौत हो गई। इसके बाद भी मलेरिया और डायरिया से बिलासपुर क्षेत्र और संभाग में कई मौत हुई हैं और लगातार मरीज मिल रहे हैं।
कोटा ब्लॉक में ही कांवड़ में मरीज को ढोने, सरगुजा और बस्तर संभाग में डायरिया और मलेरिया से 11 से अधिक लोगों की मौत की घटनाओं को भी चीफ जस्टिस ने गंभीरता से लिया। बता दें कि प्रदेश में डायरिया और मलेरिया जानलेवा हो गया है। बिलासपुर जिले में मलेरिया का प्रकोप जारी है। जांजगीर चांपा जिले में भी डायरिया से के ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है।

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