मुख्यमंत्री के गृह ज़िले व स्वास्थ्य मंत्री के संभाग में स्वास्थ्य महकमा की घोर उदासीनता…निराला सर्जिकल सेंटर हॉस्पिटल का संचालन नर्सिंग एक्ट के नियमो का कर रहा उल्लंघन
• जिले में धड़ल्ले से चल रहे अवैध नर्सिंग होम कार्रवाई को ले गंभीर नहीं दिख रहा महकमा
• आयुर्वेदिक डॉक्टर बिना एमबीबीएस डॉक्टर कर रहे मनमानी
• डॉक्टर स्वयं शंकर दयाल आयुर्वेदिक कालेज में रेगुलर प्रद्यापक के तौर पे काम भी करा रहा है और जिले में हॉस्पिटल भी चला रहा है।
• मरीजों की मौत पर नर्सिंग होम सील करने का चलता है खेल, कार्रवाई के नाम पर हो रही महज ख़ानापूर्ति
जशपुर। जिले में बेधड़क क़ानूनी प्रावधानों को ताक में रख कर आजादी के साथ होस्पीटलों का संचालन जिला मुख्यालय सहित अन्य जगहों पर भी सीएमएचओ ऑफिस के मदद से चल रहा है।
जिला मुख्यालय में स्थित सन्ना रोड पर निराला सर्जिकल सेंटर (आलोक निराला) हॉस्पिटल का संचालन नर्सिंग एक्ट के नियमो का उल्लंघन कर किया जा रहा है। बिना किसी अनेस्थ्सिया स्पेशलिस्ट के बगैर और नियमो का पालन किये बिना सर्जरी करके लोगों के जान को जोखिम में डाला जा रहा है अर्युर्वेदिक डाक्टर के द्वारा खुद अनेस्थिसिया का काम किया जा रहा है। बिना किसी फार्मासिस्ट के दवाई बिक्री और मरीजो को दवाई दिया जा रहा है। गैर क़ानूनी तरीके से फार्मेसी चलाया जा रहा है। डॉक्टर स्वयं शंकर दयाल आयुर्वेदिक कालेज में रेगुलर प्रद्यापक के तौर पे काम भी करा रहा है और जिले में हॉस्पिटल भी चला रहा है।
जिले में अवैध नर्सिंग होम का धड़ल्ले से संचालन पर लाख प्रयास के बाद भी लगाम नहीं लग पा रहा है। जिला मुख्यालय से लेकर ब्लाक स्तर पर भी निजी नर्सिंग होम का कारोबार फैला हुआ है।जहां कई अवैध नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। जिससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अनजान बना हुआ है। हालांकि अवैध नर्सिंग होम में मरीज की मौत होने के बाद हंगामा होने पर प्रशासन जरूर जागती है। लेकिन इसके बाद कार्रवाई के नाम पर महीने-दो महीने के लिए नर्सिंग होम सील कर दिया जाता है। जिसे बाद में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से दोबारा खोल दिया जाता है। जिले में संचालित अवैध निजी नर्सिंग होम पर कार्रवाई करने को लेकर विभाग उदासीन ही रहा है।
• गंभीर व अहम मुद्दे की विभाग कर रहा अनदेखी
पिछले कुछ वर्षों में जिले में अवैध नर्सिंग होम का गोरखधंधा लगातार फल-फूल रहा है। लेकिन विभाग इस गंभीर व अहम मुद्दे की लगातार अनदेखी कर रहा है। बिचौलिए की मदद से इन नर्सिंग होम में मरीजों की भीड़ लगी रहती है। दलाल मरीजों को फंसाने के बाद नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड केंद्र पर ले जाते हैं और वहां जाने के बाद रोगियों का आर्थिक व मानसिक शोषण करते हैं। इस गोरखधंधे में सैकड़ों की संख्या में दलाल पूरे जिले में सक्रिय है। जिसका कनेक्शन स्थानीय नर्सिंग होम से लेकर बाहर बड़े हॉप्सिटलो तक है।
मरीज़ों से वसूली जाती है मोटी रकम
जिला मुख्यालय के अलावा विभिन्न्न ब्लाक व कस्बाई बाजारों में दर्जनों अवैध नर्सिंग होम संचालित हैं। कई नर्सिंग होम के आगे एमबीबीएस डॉक्टर के बोर्ड लगे हैं। लेकिन वहां इलाज झोलाछाप डॉक्टर ही करते हैं। हद तो यह कि कई झोलाछाप नर्सों ने भी अपने नर्सिंग होम के आगे स्त्री एवं प्रसव रोग विशेषज्ञ का बोर्ड लगा रखा है। अवैध नर्सिंग होम संचालक के नेटवर्क में कुछ हद तक सरकारी हॉस्पिटलों के एंबुलेंस,वाहन चालक शामिल होते हैं। वे कमीशन के लिए सरकारी अस्पताल से भी मरीजों को निजी नर्सिंग होम लाते हैं फिर इलाज के नाम पर मरीज का दोहन करते हैं।
जिले के आम नागरिकों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जिला प्रशासन एवं जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वस्थ्य अधिकारी की आँखों में धूल झोंक कर किया जा रहा है।
इन सब घोर अव्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री के गृहज़िले में चल रहे अवैध नर्सिंग होम,स्वास्थ्य विभाग प्रबंधन की संलिप्तता व घोर उदासीनता के ख़िलाफ़ ज़िले के विभिन्न सामाजिक संस्थाओं,पीड़ित सहित आम नागरिकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कड़ी कार्यवाही की माँग की है अन्यथा जान से खिलवाड़ कर रहे सभी के विरुद्ध बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है।