
खबरी रायपुर:सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन) में एक नया घोटाला सामने आया है। मोक्षित ग्रुप के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा के भाई पवन बोहरा की संलिप्तता इस घोटाले में उजागर हुई है। शशांक चोपड़ा को पहले ही पता चल गया था कि मोक्षित कार्पोरेशन पर कार्रवाई होने वाली है। इससे पहले ही उसने पारस डायग्नोटिक नाम की नई कंपनी बना ली थी। हलांकि यह कंपनी उनके भाई पवन बोहरा के नाम पर है। जिनका डायग्नोस्टिक सेंटर राजनांदगांव में है, लेकिन इन्होंने सीजीएमएससी की निविदा में भाग लेने के लिए कंपनी का पता मुम्बई बताया है।
पवन बोहरा पर आरोप है कि उन्होंने ही हवाला के माध्यम से मोक्षित ग्रुप की काली कमाई (ब्लैक मनी) संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई। बताया जा रहा है कि राजनांदगांव स्थित ‘पारस डायग्नोस्टिक’ नामक कंपनी को मुंबई की फर्जी कंपनी बताकर ‘डिसइंफेक्टेड मशीन’ और ‘रीजेंट’के लिए रेट कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त कर लिया गया।मोक्षित ग्रुप के एक अन्य डायरेक्टर शांतिलाल चोपड़ा और पारस डायग्नोस्टिक के मालिक पवन बोहरा ने मिलकर डिसइंफेक्टेड मशीन और रीजेंट की खरीद के नाम पर लगभग 50 करोड़ रुपये का भुगतान ‘इंडेंटेड यूज़र्स’ के माध्यम से प्राप्त किया।
भेद खुला तो जेम पोर्टल से हुई खरीदी
जब सरकार ने ‘जेम पोर्टल’ से खरीद के निर्देश जारी किए, तो यह रेट कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया गया। बतादें कि फैथ बायोटेक नाम की कंपनी ने डिसइंफेक्टेड मशीन और रीजेंट का दर अनुबंध कर पूर्व में कई अस्पतालों में सप्लाई भी किया था, इसके दर भी पारस डायग्नोस्टिक से कम थी। मोक्षित के प्रभाव से इस कंपनी को बाहर कर दिया।
पवन बोहरा ने किया हवाला का खेल
प्राप्त पुख्ता प्रमाणों से यह खुलासा हुआ है कि रीजेंट घोटाले में हवाले के माध्यम से अधिकारियों को रकम पहुंचाने की भूमिका पवन बोहरा ने निभाई। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) यह पता लगाने में जुटी है कि यह पूरा हवाला तंत्र किस प्रकार संचालित किया गया। इतना ही नहीं, राजनांदगांव स्थित एक्वा वाटर विलेज (वाटर पार्क), जो पवन बोहरा का निजी प्रोजेक्ट है, पूरी तरह हवाले की रकम से तैयार किया गया बताया जा रहा है। यही स्थान रीजेंट घोटाले की रणनीति तैयार करने के लिए कई बार मीटिंग स्थल भी रहा। सूत्रों के अनुसार, पवन बोहरा की अधिकारियों से इतनी मजबूत ‘सेटिंग’ है कि हाल ही में वाटर विलेज में एक 13 वर्षीय बच्चे की मौत की घटना को भी दबा दिया गया।
‘किंगडम ऑफ जॉय’ में खपाया गया काला धन
इसके अतिरिक्त, रायपुर के विधानसभा रोड स्थित ‘किंगडम आफ जाय’ प्रोजेक्ट में भी पवन बोहरा द्वारा मोक्षित ग्रुप की ब्लैक मनी इन्वेस्ट किए जाने की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि दो आईएएस अधिकारियों की अवैध संपत्ति भी इसी प्रोजेक्ट में खपाई गई है। इसकी शिकायत ईओडब्लू और प्रकरण पर सुनवाई करने वाले न्यायधीश से की जाएगी।