छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़-में दो नई रेल लाइन सर्वे को मंजूरी, कोरबा से अंबिकापुर और गढ़चिरौली से बचेली-बीजापुर तक बिछेगी

कोरबा/अंबिकापुर/बीजापुर.

रेल मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के कोरबा से अंबिकापुर और गढ़चिरौली से बचेली (व्हाया-बीजापुर) नई रेल लाइन के लिए फाइनल सर्वे को मंजूरी दे दी है। इसके तहत कोरबा से अम्बिकापुर (180 किमी) एवं गढ़चिरौली से बचेली (व्हाया-बीजापुर) (490 किमी) नई रेल लाइन निर्माण के लिए फाइनल सर्वे व डीपीआर(विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने के लिए रेल मंत्रालय की ओर से 16.75 करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर की गई है।

दोनों नई रेल लाइन के लिए फाइनल सर्वे की मंजूरी पर रेलमंत्री अश्वनी वैष्णव ने कहा कि ‘छत्तीसगढ़ हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है। छत्तीसगढ़ में इस समय 37,018 करोड़ रुपए की लागत से 2,731 किलोमीटर की 25 नई रेल लाइन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। जब रेलवे ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन किया जा रहा हो और उसी समय नई पटरी का निर्माण, नए स्टेशन का निर्माण, रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास एवं यार्ड रिमॉडलिंग जैसे रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित विभिन्न कार्य किए जाते हैं, तो ट्रेनों के सुगम परिचालन में कई तरह की परेशानियां सामने आती हैं। इसी के चलते कई बार ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ता है लेकिन हम संकल्पित हैं कि छत्तीसगढ़ में जल्द से जल्द विश्वस्तरीय रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्मित करेंगे और राज्य के लोगों के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध कराएंगे एवं अधिक से अधिक ट्रेनें चलाएंगे।’

16.75 करोड़ रुपए के डीपीआर मंजूर किए —
रेलमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात हुई थी। इस दौरान उन्होंने राज्य में रेलवे से संबंधित कई परियोजनाओं की मांग की थी। इन्हीं में से आज 670 किलोमीटर की दो नई रेल लाइन परियोजनाओं की डीपीआर (16.75 करोड़ रुपए) को स्वीकृति दी गई है। इनमें 180 किलोमीटर लंबी कोरबा एवं अंबिकापुर नई रेल लाइन परियोजना की डीपीआर (4.5 करोड़ रुपए) एवं 490 किलोमीटर लंबी गढ़चिरौली-बचेली वाया बीजापुर नई रेल लाइन परियोजना की डीपीआर (12.25 करोड़ रुपए) शामिल है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल छत्तीसगढ़ राज्य में रेल नेटवर्क का जाल बिछाने के लिए कृत संकल्पित है। इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में रेल विकास के लिए 6,922 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जो कि वर्ष 2009 से 2014 के दौरान छत्तीसगढ़ को प्रति वर्ष आवंटित किए जाने वाले औसतन 311 करोड़ रुपए के बजट से लगभग 22 गुना अधिक है।

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