जनसंपर्क मध्यप्रदेश

Assessment Center : एग्पा, भोपाल में मूल्यांकन एवं प्रभाव आंकलन केन्द्र का शुभारंभ…एमपी-डीएपी को एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित करने पर विचार : मुख्यमंत्री शिवराज

भोपाल,12 सितंबर। Assessment Center : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शोध, सर्वेक्षण और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया डेटा उपयोगी है। यह सुशासन की नींव है और जन-कल्याण में सहायक बनता है। शोध आधारित पुख्ता सांख्यिकी आंकड़े विकास की गति को बरकरार रखते हैं। मध्यप्रदेश में एमपी-डीएपी को एक एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित करने पर विचार किया जाएगा। यह केन्द्र शासकीय नीतियों के असर और लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव को देखेगा। इसके द्वारा शासकीय योजनाओं, परियोजनाओं और कार्यक्रमों के प्रभावों का आकलन किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने एग्पा (अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल) में स्थापित किए गए मूल्यांकन एवं प्रभाव आकलन केन्द्र का वर्चुअल शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री चौहान ने राज्य नीति आयोग मध्यप्रदेश द्वारा प्रकाशित एसडीजी प्रगति रिपोर्ट-2023 का विमोचन किया।

भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे इस तीन दिवसीय (11 से 13 सितम्बर) सम्मेलन और कार्यशाला में अनेक अर्थशास्त्री, शोधकर्ता और विकास से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। सम्मेलन के प्रमुख हिस्सों में सुशासन संस्थान में मूल्यांकन एवं प्रभाव आकलन केन्द्र की स्थापना, चाइल्ड एवं जेन्डर बजटिंग पर कार्यशाला, सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत बनाने के लिये क्षमता संवर्द्धन कार्यक्रम को भी जोड़ा गया। यह संयुक्त प्रयास प्रदेश के डेटा डिलीवरी तंत्र को सशक्त बनाने में सहायक होंगे।

विश्वसनीय डेटा संग्रहण का अभाव था, डेटा आत्मनिर्भरता के लिये किये गये ठोस प्रयास

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सूचना क्रांति के युग में डेटा उतना ही जरूरी है, जितना साँस लेना। अब डेटा के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। डेटा ज्ञान का स्त्रोत भी बन गया है। डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर) डेटा के बिना संभव नहीं। इस तरह डेटा सुशासन की नींव है। प्रदेश में डेटा संग्रहण और विश्लेषण की क्षमता निरंतर बढ़ाई गई है। प्रदेश में 1 करोड़ 30 लाख बहनों के खाते में सीधे राशि पहुँचाने का कार्य विश्वसनीय और व्यवस्थित आंकड़ों से संभव हुआ है। प्रदेश में पहले विश्वसनीय डेटा संग्रहण और विश्लेषण की क्षमता का अभाव था जो प्रदेश की कमजोरी थी। राज्य नीति आयोग और सुशासन संस्थान के री-ओरिएंटेशन, सांख्यिकी आयोग बनाने, डाटा आधारित सतत विकास लक्ष्य, चाइल्ड बजटिंग और जेंडर बजटिंग जैसे प्रयासों से डेटा के क्षेत्र में आत्म-निर्भरता के ठोस प्रयास किये गये। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अर्थशास्त्री नहीं लेकिन यह जानता हूँ कि नीतियाँ बनाने, निर्णय लेने और नीतियों के क्रियान्वयन में डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना की सफलता में डेटा प्रमुख आधार बना है। डेटा, शुद्ध सटीक और विश्वसनीय हो तो लोक कल्याण आसान हो जाता है। मध्यप्रदेश में डेटा आधारित सुशासन की कार्य-प्रणाली विकसित करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने बीते वर्षों में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये इस सम्मेलन और कार्यशाला में महत्वपूर्ण संस्थाएँ एक मंच पर आई हैं, जो सराहनीय है।

प्रदेश में एन-डीएपी का उपयोग कर एमपी-डीएपी को एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित करने पर विचार

मुख्यमंत्री चौहान ने एन-डीएपी अर्थात राष्ट्रीय डेटा विश्लेषिकी प्लेटफार्म की उपयोगिता पर केंद्र सरकार के नीति आयोग के सहयोग से हो रही कार्यशाला को वर्चुअली संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि एन-डीएपी सरकारी डेटा की पहुँच और उपयोग में सुधार के लिये नीति आयोग की विशेष पहल है। यह प्लेटफार्म भारत के विशाल सांख्यिकी बुनियादी ढाँचे से डेटासेट एकत्र और होस्ट करता है। इसे वर्ष 2020 से 2022 से मध्य विकसित किया गया है। एन-डीएपी का उपयोग कर मध्यप्रदेश डेटा एवं एनालिटिक्स प्लेटफार्म (एमपी-डीएपी) को एक एग्रीगेटर प्लेटफार्म के रूप में विकसित किये जाने पर विचार किया जाएगा। यह सम्मेलन एन-डीएपी की उपयोगिता और इसके इस्तेमाल के लिये कार्यशाला के संयोजन का महत्वपूर्ण माध्यम बना है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस तथ्य आधारित सामाजिक एवं आर्थिक विकास सम्मेलन के लिये सहयोगी संस्थाओं यूनिसेफ, संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि, एडीबी, अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान भोपाल (एग्पा) और राज्य नीति आयोग आयोग के पदाधिकारियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीतियाँ प्रभावी होंगी तो विकास अवरूद्ध नहीं होगा। आज प्रभावी नीतियों के निर्माण में विश्वसनीय सांख्यिकी डेटा का संग्रह और विश्लेषण आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने सम्मेलन और कार्यशाला में एन-डीएपी की उपयोगिता पर मंथन के लिये एकत्रित विषय-विशेषज्ञों को प्रदेश के विकास के लिये भी महत्वपूर्ण माध्यम बताया।

आहार अनुदान योजना की राशि से सुधरा बच्चों का पोषण-स्तर, यह इम्पेक्ट लाड़ली बहना योजना का आधार बना

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज प्रदेश में लाड़ली बहना योजना लोकप्रिय हो रही है। इसके पहले वर्ष 2017 में प्रदेश में रहने वाली तीन विशेष पिछड़ी जनजातियों – बैगा, भारिया और सहरिया के परिवारों को प्रतिमाह एक हजार रूपये आहार अनुदान योजना में देना शुरू किया गया था। इस योजना की इम्पेक्ट स्टडी में ज्ञात हुआ कि जनजाति परिवारों ने प्राप्त राशि बच्चों के पोषण पर खर्च की। इससे इन परिवारों के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आया। यह तथ्य लाड़ली बहना योजना के लिये प्रेरणादायी बना। लाड़ली बहना योजना की राशि भी बहनों द्वारा अपने बच्चों के पोषण पर खर्च करने की बात सामने आई है। परिवार की अन्य जरूरतों के लिये भी राशि काम आ रही है। मध्यप्रदेश में कभी बेटियाँ बोझ मानी जाती थी। निरतंर प्रयासों से लिंगानुपात में सुधार के साथ ही महिला सशक्तिकरण का कार्य हुआ है। लाड़ली बहना योजना से प्रदेश की बहनों की जिंदगी बदल रही है।

योजनाओं का प्रभाव देखना आवश्यक, प्रभाव आंकलन केन्द्र सुशासन व्यवस्था को अपग्रेड करेगा

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रिफार्म, परफार्म और ट्रांसफार्म का मंत्र दिया है। मध्यप्रदेश भी इस मंत्र की सिद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एग्पा (अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान) और मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग की मिली-जुली पहल से प्रभाव आंकलन केन्द्र, डेटा आधारित सुशासन व्यवस्था को साक्ष्य अधारित सुशासन व्यवस्था में अपग्रेड करने का महत्वपूर्ण कदम है। योजनाओं का प्रभाव देखने के लिये मूल्यांकन एवं प्रभाव आंकलन केन्द्र स्थापित किया गया है। अब तक नीतियों के प्रभावी होने और विकास से जुड़े सवालों के जवाब प्राप्त करने के लिये संस्थागत व्यवस्था नहीं थी। एग्पा में स्थापित यह केन्द्र योजनाओं के आमजन पर प्रभाव और उनकी जिंदगी में बदलाव लाने से संबंधित प्रश्नों का जवाब देने का कार्य भी करेगा। योजनाओं का मूल्यांकन कर साक्ष्य प्रस्तुत करने और योजनाओं के सुधार के लिये रचनात्मक सुझाव देने का कार्य भी हो सकेगा। प्रदेश में आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय के अधिकारी-कर्मचारी विश्वसनीय सांख्यिकी जुटाने का जिम्मा संभाल रहे हैं। टीम बधाई की पात्र हैं।

चाइल्ड और जेन्डर बजटिंग

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2007 से जहाँ जेन्डर बजटिंग की शुरूआत की गई वहीं 2022 से आउटकम ओरिएंटेड चाइल्ड बजटिंग को अपनाया गया। यह कार्यशाला राज्य शासन, सार्वजनिक वित्त संस्थान, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर मध्यप्रदेश के समग्र विकास के लिये चाइल्ड एवं जेंडर सेंसटिव बजटिंग की उपयोगिता को प्रतिष्ठित करेगी।

प्रो. सचिन चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग ने कहा कि मध्यप्रदेश सांख्यिकी आयोग बनाने वाला पहला राज्य है। योजनाओं के प्रभाव के आंकलन के लिये प्रदेश में युवाओं को प्रशिक्षण भी दिया गया है। अनुपूरक बजट में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के क्रियान्वयन के लिये राशि के प्रावधान और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों के लिये स्थाई व्यवस्थाएँ की गई हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा योजनाओं के थर्ड पार्टी असेसमेंट के सुझाव को अपनाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह एशियन डेवलपमेंट बैंक ने मूल्यांकन के लिये पृथक ऑफिस बनाया है, वैसा ही मध्यप्रदेश में अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन स्तर को परखने के लिये व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री चौहान द्वारा मुख्यमंत्री निवास से कार्यशाला और सम्मेलन में वर्चुअल संबोधन के अवसर पर एग्पा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राघवेन्द्र कुमार सिंह, प्रमुख सचिव योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी मुकेश चंद्र गुप्ता उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button